Devki Bai
जीवन आसान हो जाता है, जब हम स्वयं की मदद करना शुरु करते है

श्रीमति देवकी बाई चौधरी के घर में एक किराना की दुकान है और वो उनके आजीविका का साधन है| देवकी जी अपने परिवार का पालन पोषण अच्छी तरह से कर रही है | उनकी बेटी हर्षा की पढाई और घर का खर्च दुकान से ही चलता है और देवकी जी अपनी 500 रु हर माह समूह में अपनी बचत राशि जमा करती है | जब भी उनको पैसों की जरुरत होती है वो बहार से कर्ज न लेकर अपने समूह से लोंन लेती है|
करोना महामारी के दौरान देवकी के पति श्री जगदीश चौधरी जी का निधन हो गया था, करोना काल मे हर घर की मानसिक और आर्थिक स्तिथि ख़राब थी इस पर परिवार के मुखिया का जाना देवकी जी के हिम्मत का टूट जाना था, उनको लगता अब मेरे बेटी की पढाई और परिवार पालन पोषण कोन करेगा? क्योकि देवकी जी का सयुक्त परिवार था उनका बेटा होटल में खाना बनाने का काम करते है करोना में होटल भी बंद था घर में बहु दो पोता पोती और उनकी बेटी हर्षा सब साथ में रहते है| देवकी जी को चिंता थी की अब क्या होगा? आगे जीवन कैसे चलेगा
रिया स्व सहायता समूह की बैठक में सभी महिलायें उपस्थित रही | महिलाओं ने देवकी जी के लिए संवेदनाए व्यक्त की और देवकी जी को हिम्मत से देते हुए कहा की अब आप ही परिवार की हिम्मत है आपको ही आगे संभालना है आप कोई छोटा सा रोजगार घर पर शुरू कर लो इससे आपके परिवार का पालन पोषण होगा और बच्चो की देखभाल भी हो जाएगी | बैठक में समूह के सभी महिला सदस्य और पदाधिकारियों ने देवकी जी को समूह की कोष से पचास हजार का लोन प्रदान किया |
देवकी जी के सामने चुनौती ये थी की वो पचास हजार रूपये में कोन सा रोजगार करेंगी? क्योंकि घर का खर्च भी चलाना था और पति के निधन पर जो कर्ज लिया था उनको भी चुकाना था | देवकी जी ने अपनी समझ के अनुसार पहले जो कर्ज था उनको चुकाया कर्ज देने के बाद जो राशि बची उससे उन्होंने घर पर एक छोटी सी दुकान खोली जिसमे थोड़े से सामान रख कर शुरूआत की |
देवकी जी ने अपना पिछला समूह का लोन चुकाया और 2024 में दोबारा समूह से सत्तर हजार रुपये का लोन लिया जिसमे उन्होंने चालीस हजार में एक छोटी सी दुकान बनवाई और बचे हुए तीस हजार रुपये में दुकान का सारा सामान ख़रीदा | अब देवकी जी की दुकान अच्छी चल रही है | बेटी और नाती पोतो की पढ़ाई भी अच्छे से हो रही है व बचे हुए पैसों को जमा करती है देवकी जी का बेटा उनका पूरा सहयोग करते है |

समस्या छोटी हो या बड़ी हमे घबराना नहीं चाहिए मुस्किल समय में हिम्मत रखना और दूसरों को भी हिम्मत देना यही जीवन का सार है|