दिनांक 6 मार्च को नागरिक अधिकार मंच कें द्वारा होटल गैलेक्सी मदन महल में षहरी गरीबी के मुददें पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 75 सें 80 असंगठित क्षेत्र के मजदूर और घरेलू कामकाजी महिलायें और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहें। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि परियोजना अधिकारी श्रीमति मणि षुक्ला व श्रम विभाग सें श्रम निरीक्षक श्री संकेत पहाडें जी उपस्थित रहें। कार्यक्रम के षुरूआत में आतिथियों का स्वागत पौधा और प्रस्तावना का स्मृति चिन्ह देकर किया।

कार्यक्रम कों संम्बोधित करतें हुयें श्रीमति मणि षुक्ला जी नें आंगनबाडी में में मिलनें वाली सुविधाओं पर जानकारी प्रदान की जिसमें आपने बताया की महिलायें प्रमुख टीके के लिए जागरूक नही हेती है महिलआयों कों दों ढाई महीनें में टीके लगना अनिवार्य है। प्रसव के दौरान महिलओं 5000 हजार रू की राषि दी जाती है ताकि जच्चा बच्चा स्वस्थ रहें अगर दो बार बेटी होती है तो भी लाभ मिलेगा। दूसरा लाडली लक्ष्मी योजना 2006 में षुरू हुआ । जिस बच्ची नें 2007 जन्म लिया वों लाडली लक्ष्मी योजना के प्रात्र है, लाडली लक्ष्मी योजना के प्रात्र हमारी बेटियांे को 8वी कक्षा में 2000 रू, 9वी कक्षा में 4000 हजार रू, 11वी 6000 हजार और अगर कोई तकनिकी कोर्स करती है तों 25000 हजार की राषि दी जाती है। बच्चियों को मुख्य धारा सें जोडा जाता साथ ही आंगनबाडी में बच्चों का वजन कम हुआ तो एनआरसी ले जाया जाता है जहा पर बच्चों को पोषण आहार फूड व सप्लीमेंट पाउडर दिया जाता है और जिन बच्चों कों कीडें होने के कारण पोषण नही मिलता उन बच्चों कों दवाई दी जाती है। आगे की चचाओं में महिलाओं मणि षुक्ला सें प्रष्न भी कियें।

संकेत पहाडें जी (श्रम निरीक्षक)
आपने ने अपने सम्बोधन में कहा इस मंच के माध्यम सें आप सभी मजदूर भाई बहन सें मिलनें का मौका मिला बहुत अच्छा लगा। ,आगे आपने चर्चा में बताया कि असंगठित क्षेत्र में संबल योजना का रजिस्टेषन किया जाता है जिसमें यदि मजदूरों की दुर्घटना होती है तों संबल कार्ड सें 4 लाख मिलते है आयुष्मान कार्ड व पात्रता पर्ची बनती है। एक कर्मकार कल्याण मंडल योजना के अंर्तगत मंगेली में श्रमोदय विद्यालय है जिसमें आप रजिस्ट्रेषन करवा सकतें है स्कूल मे प्रवेष करवाने पर कोई भी फीस नही लगेगी, आपका बच्चा 12वी तक निःषुल्क षिक्षा प्राप्त कर सकता है। संबल योजना, अगर आपका बच्चा कालेज में पढता है तो फीस नही लगेगी और अगर फीस लगेगी तों वो संबल कार्ड से वापस हो जायेगी। कामगार महिलाओं नें पूछा की हमारा बीपीएल कार्ड नही बना है हमनें कितनी बार आवेदन दिया पर रिजेक्ट कर देते है , पात्रता पर्ची सें राषन तो प्राप्त हो जायेगें पर बीपीएल कार्ड बच्चों के स्कूल में लग रहे है और अभी जुलाई माह में कलेक्टर दीपक सक्सेना जी द्वारा संबल कार्ड सें पात्रता पर्ची बनानें का आदेष जारी किया था तभी सें हम लोगो नें जुलाई माह में नगर निगम में आवेदन दिया पर अभी तक पात्रता पर्ची नही मिली, जब जाओं तो वो बोल देतें है कि सर्वर डाउन है जब सर्वर डाउन रहता है तों साहब लोग क्या काम करते है? पहारें जी ने कहा तो आप सब कलेक्ट्रेट में षिकायत करों।

राजू चैधरी जन साहस सें
हमारी संस्था जन साहस सौ जिलें में 1400 गांव में प्रवासी मजदूरों के साथ कार्य करती है जिसमें महिला और बच्चों कें साथ लैंगिग अपराध ,एमआरसी प्रोग्राम ,खरीद फरोक्त, निषुल्क अधिवक्ता, निषुल्क मानसिक स्वस्थ के लिए कार्य करती है। ग्रामीण क्षेत्र में बालिका पंचायत और महिला बाल विकास व श्रम विकास पर प्रषिक्षण भी देते है। आपने बताया कि बेलखेडा थाना का मामला जाहॅ पर एक षिक्षक नें बच्चीे के साथ गलत काम किया । परिवार के सभी व्यक्ति मजदूरी करता है जन साहस संस्था नें उस बच्ची की मदद की और गोपनीयता बनायें रखी। ऐसे 400 सें ज्यादा मामलें है जो 18 साल से कम उम्र के बच्चियों की मदद करता है। कोई भी केस हो षिकायत इतनी जल्दी दर्ज नही होती है ज्यादा सें ज्यादा लोग इकठ्ठे हो तो जल्द ही कार्यवाही होती है । विभागों को संवेदनषील बनाने का कार्य करता है फिर सादे पेपर पर आवेदन करते है क्योकि षिकायत कई प्रकार की होती है। सीआरपी की धारा 173 धारा में लीगल षिकायत दर्ज नही होती है। आप कोर्ट चले जाये आपको मदद मिलेगी । बच्चों के मामले में 18 वर्ष के कम उम्र में तुरंत षिकायत होती है। आखिर में राजू भाई जी नें पास्को एक्ट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
ट्रासंजेण्डर अब्दूल रहीम जी (अरमान फाउण्डेषन)
आपने बताया कि मै एक किन्नर समूदाय सें आती हूॅ अरमान फाउंडेषन समूदाय को षोषण से मूक्त कराने के लिए कार्य करता है। समाज हमें कई नाम से बुलाते है कोई छक्का बोलता है तो कोई मीठा, कोई हिजडा जैसे हम लोगो का कोई अस्तित्व नही। हमें भी दर्द होता है, हम भी इंसान है कुदरत नें हमें ऐसा बनाया है तो हमारी क्या गलती है? समाज में हमें भी जीने का अधिकार है, पढने का अधिकार है। हमें भी खुष होने का अधिकार है पर समाज इतनी आसानी से खुषी नही देता है। समाज ने हमें धिक्कारा है ही, हमें तो हमारे परिवार के लोगो नें भी ठुकराया है। हम जीते है और आगे बढने का प्रयास करते रहते है और अपने समाज को बेहतर बनाने का सपना देखतें है।
सवाल सुषील सतनामी आपसे मेरा एक सवाल है मेरी पुरी हमदर्दी आपके साथ है पर मै कहना चाहुंगा की अभी कुछ दिन पहले मेरे एक दोस्त के यहा बेटे का जन्म हुआ है आपके समूदाय के कुछ लोग उनके यहा पर नाचे गाये और बधाइयां भी दी और फिर उनसे दस हजार रूपयें की मांग की। मेरा कहना है की बंदा मजदूरी करता है वो दस हजार महीने में भी नही कमा पाता । परिवार है, घर खर्च है वो कैसे दस हजार रूपयें दे पायेगा ये मुझें ठीक नही लगता लोग जो अपनी खुषी सें दे उसे स्वीकार करना चाहिए।
अब्दुल रहीम जी ने जवाब में कहा कि सही कहा आपने ,हर कोई समझदार नही होते , अपनी -अपनी सोच है और कुछ लोग तो हमारे डेरे को भी बदनाम करतें जो गलत है। अरमान फाउंडेषन से साथी ट्रांसजेण्डर चांद जी और निजमोहन जी भी अपने विचार रखेें।


