
Capacity Building Program on Gender Equality
दिनांक 18 दिसम्बर 24 को स्थानीय सामुदायिक भवन पोली पाथर में नागरिक अधिकार मंच के द्वारा लैंगिक समानता में मुद्दे पर स्थानीय सामुदायिक नेतृत्व के साथियो का क्षमातावर्धन कार्यक्रम किया गया जिसमे रविदास नगर, आंबेडकर नगर, संजय नगर, बागडा दफाई और लाला कुआं से 25 महिला साथी उपस्थित रही |
कार्यक्रम में महिलाओं से चर्चा करते हुए श्री शिव कुमार जी ने कहा की लैंगिक समानता पर मध्यप्रदेश और भारत की स्थिति पर विचार करने से पहले, यह समझना जरूरी है कि लैंगिक समानता क्या है और इसका महत्व क्या है। लैंगिक समानता का अर्थ है पुरुषों और महिलाओं के बीच समान अधिकार, अवसर और सम्मान की स्थापना करना है
आपने बताया कि भारत में लैंगिक समानता की स्थिति पर नजर डालें, तो हम देखते हैं कि हमारे देश में महिलाओं के साथ भेदभाव की समस्या अभी भी व्याप्त है। महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और राजनीतिक भागीदारी में पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं । मध्यप्रदेश में लैंगिक समानता की स्थिति पर विचार करने से पता चलता है कि राज्य में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि महिला सशक्तिकरण योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और महिला उद्यमिता विकास योजना आदि | हालांकि, मध्यप्रदेश में भी महिलाओं के साथ भेदभाव की समस्या अभी भी व्याप्त है। राज्य में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में कम है, और महिलाओं को रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में भी कम अवसर मिलते हैं । इस प्रकार, मध्यप्रदेश और भारत में लैंगिक समानता की स्थिति पर विचार करने से पता चलता है कि हमारे देश में महिलाओं के साथ भेदभाव की समस्या अभी भी व्याप्त है, लेकिन सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं ताकि महिलाओं को समान अधिकार और अवसर मिल सकें।

श्री शिव कुमार जी ने भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत में पितृसत्तात्मक सोच और लैंगिक असमानता व्याप्त होने के कारण, महिलाओं को विरोधाभासी भूमिकाएँ निभाने के लिए मजबूर किया जाता है। एक ओर, महिलाओं की मातृत्वपूर्ण भूमिका को बेटी, माँ, पत्नी और बहू के रूप में प्रभावी ढंग से निभाने के लिए उनकी ताकत को बढ़ावा दिया जाता है। दूसरी ओर, उनके पुरुष समकक्षों पर पूर्ण निर्भरता सुनिश्चित करने के लिए “कमजोर और लाचार महिला” की रूढ़िवादी छवि को बढ़ावा दिया जाता है।
जहाँ तक महिला सशक्तिकरण पर बहस का प्रश्न है, वर्तमान भारतीय समाज में दो बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण देखे जा सकते हैं:
लैंगिक असमानता स्वाभाविक है: लिंगों के बीच असमानता पुरुषों और महिलाओं के बीच जैविक या आनुवंशिक अंतरों पर आधारित है। लैंगिक असमानता कृत्रिम है: लिंग भूमिकाएँ सांस्कृतिक रूप से निर्धारित होती हैं और लिंगों के बीच असमानता समाजीकरण की एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है। भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति प्रगति और विद्यमान चुनौतियों के एक जटिल अंतःक्रिया द्वारा चित्रित है। लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में कुछ महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं। हालाँकि, गहराई से जड़ें जमा चुके सामाजिक मानदंड, आर्थिक असमानताएं और राजनीतिक चुनौतियों का अर्थ है कि भारत में लैंगिक असमानता अभी भी मौजूद है।आपने कहा कि विरोधाभासी रूप से, हमारे भारतीय समाज में जहाँ महिला देवियों की पूजा की जाती है, वहीं महिलाओं के साथ भेदभाव भी होता है और उन्हें समान अवसरों से वंचित किया जाता है।
आपने बताया कि जेंडर गैप रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, लैंगिक समानता के मामले में भारत 146 देशों में से 127वें स्थान पर है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, भारत में समग्र लिंग अनुपात 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएँ हैं। हालाँकि, जन्म के समय लिंग अनुपात 929 से कम रहता है, जो जन्म के समय लिंग चयन जारी रहने का संकेत देता है। मातृ मृत्यु दर (MMR): रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा जारी MMR पर विशेष बुलेटिन के अनुसार, 2018-20 की अवधि के लिए भारत का MMR, 97 प्रति लाख जीवित जन्म है। NFHS-5 के अनुसार, 15-49 वर्ष की आयु की 18.7% महिलाएँ कम वजन वाली हैं, 15-49 वर्ष की आयु की 21.2% महिलाएँ अविकसित हैं, और 15-49 वर्ष की आयु की लगभग 53% महिलाएँ रक्ताल्पता अर्थात् एनीमिया से पीड़ित हैं और NFHS-5 (2019-21) के अनुसार, पुरुषों के लिए लगभग 84.7% की तुलना में महिलाओं में साक्षरता दर 70.3% है। NCRB की “क्राइम इन इंडिया” 2021 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गए थे। यह आँकड़ा केवल रिपोर्ट की गई घटनाओं को दर्शाता है, वास्तविक आँकड़ा काफी अधिक है। बाल विवाह(Child Marriage): NFHS-5 के अनुसार, 20-24 वर्ष की आयु की 23.3% महिलाओं का विवाह या 18 वर्ष की आयु से पहले हो गई थी।

आपने बताया की महिला और पुरुष में आर्थिक विषमता भी अधिक है , नवीनतम PLFS रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में कार्यशील आयु (15 वर्ष और उससे अधिक) की केवल 32.8% महिलाएँ ही श्रमबल में थीं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में केंद्रित है। इससे निष्कर्ष निकलता है कि भारत में अधिकाँश महिला कर्मचारी उच्च वेतन वाले रोजगार में नहीं हैं। आगे आपने कहा की भारत में लिंगों के बीच वेतन अंतर विश्व में सबसे अधिक है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, औसतन भारतीय महिलाओं को पुरुषों की आय का 21% भुगतान किया जाता था।

भारत में राजनीतिक असमानता पर नजर डाले तो पायेगे कि वर्तमान में, संसद सदस्यों (MPs) की कुल संख्या का केवल 14.94% ही महिलाएँ हैं। राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व: भारत के निर्वाचन आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 तक राज्य विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधित्व का औसत केवल 13.9% है।
स्थानीय पंचायतों में प्रतिनिधित्व: अप्रैल 2023 से पंचायती राज मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 46.94% पंचायत निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएँ हैं। हालाँकि, ‘सरपंच-पति’ संस्कृति की व्यापकता का विद्यमान होने से यह आँकड़ा प्रभावी रूप से बहुत कम है।
कार्यक्रम के आखिर में आपने कहा कि महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता प्राप्त करना कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है। सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और अन्य आयामों में विस्तारित महिला सशक्तिकरण के महत्त्व को इस प्रकार देखा जा सकता है।
One thought on “Capacity Building Program on Gender Equality”
Greetings from Uganda.
I am Twesige Selegio, Director of Wilma Fox Child Development Centre Uganda, a non-profit organization dedicated to supporting orphans and vulnerable children in Uganda. We provide essential services including education, healthcare, and emotional support.
We are excited to explore potential partnership opportunities with your organization. A collaboration could enhance our impact and better serve the children we care for. We are interested in exploring partnerships in the following areas:
1. Nutrition Programs: Providing nutritious meals and promoting healthy habits.
2. Education and Development: Supporting early childhood development, education, and vocational training.
3. Community Outreach: Empowering communities to promote health, education, and well-being.
By partnering together, we can leverage our strengths and experience to create lasting change. I would be honored to discuss this opportunity further and explore how we can work together.
https://www.globalgiving.org/donate/104179/wilma-fox-child-development-centre/ you can see more of our projects.
Please feel free to contact me to schedule a call or meeting. I can be reached via WhatsApp at +256785521916.
Best Regards,
Twesige Selegio
Director, Wilma Fox Child Development Centre Uganda