दिनांक 09/06/24 को रानीताल यूथ हॉस्टल जबलपुर मे कबीर जन विकास समूह, नागरिक अधिकार मंच व षेडो संस्था टिमरनी के सहयोग से कबीर कला संवाद का आयोजन किया गया, इस आयोजन में कबीर जन विकास समूह, समतर बैंड व जबलपुर के डब्बल जी व स्थानीय कबीर पंथी साथियो द्वारा मिल कर इस काल संवाद अपनी अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कबीर जन विकास समूह कि वॉलिंटियर सुश्री लक्ष्मी वास्ती द्वारा योगा करवाया गया। कबीर से षारीरिक स्वास्थ के प्रति जागरूक थे उनका मानना था कि व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ हो।
इसके बाद षिवानी द्वारा आये हुये सभी लोगो का स्वागत कर सभी से कबीर कला संवाद मे कबीर जी के जीवन से उनके विचारो से आप कितना प्रभावित है आप अपना व अपनी संस्था का परिचय कर क्या अपेक्षाये रखते है, इस कार्यक्रम से वह बताने हेतु कहा गया। सभी संस्थाओं द्वारा अपना परिचय दिया गया जिसमे एकलव्य संस्था से श्री सुरेष पटेल जी ने बताया कि सबसे पहले उन बच्चो के लिये काम षुरू किया जो स्कूल नही जा रहे थे, इदौर मे साठे नगर मे जुगाड का स्कूलष्षुरू किया जिसमें 150 बच्चो को उसमे जोडा। कबीर जी षिक्षा को महत्व देते थे और इस प्रकार कबीर जन विकास समूह के नाम से कार्य प्रारंम्भ किया।
जबलपुर से षिवकुमार जी द्वारा कि उनकी जो संस्था है उसको किसी प्लान के तहत नही बनी है 2005 मे जेएनएनयूआरएम एक योजना आई जिसमे बस्ती को हटना था और हम उसी बस्ती में रहते थे लोग बस्ती से हटना नही चाहते थे उस वक्त हम कुछ युवा साथियो ने मिलकर आर टी आई लगवाई। लोग सन्1900 से यहां रह रहे थे सबके रोजगार यही पर थे तब संवैधानिक स्तर पर अपना हक लेने के लिये 2004 मे एक बैनर बना नागरिक अधिकार मंच बनाया गया। 2006-2011 तक प्रषासन के साथ हमारा निरंतर संवाद व पत्राचार चला और 2012 में षिवराज चौहान जी मुख्य मंत्री हमारी बस्ती में आये और उन्होने हमारी बस्ती को नही हटायेगे कहा। हम जो युवा साथियों ने यह तय किया कि हमें समाज के लिये काम करना, हम वह कार्य खुद तय करेगे। 2013 में हमने नागरिक अधिकार मंच संस्था का रजिस्ट्रेषन किया। हमारी संस्था का उद्धेष्य लोग को संविधान के मूल्यों को जाने माने और जिये की राह पर ले जाना है और षहरी गरीबों को मानव अधिकारों की प्राप्ति कराना है।
समतर बैंड से रितेष गोंहिया जी ने बताया कि हमारी षुरूआत काफी संघर्ष पूर्ण रही हमारा विचार है कि संविधान ही सभी के लिये संतुलन का काम करता है और वह हम लोगो तक कैसे पहंुचाये ? ढाई आखर उसी सोच का परिणाम है हम लोग साल में 2 बार मिलते है और हम सब मिलकर आपसी बातचीत से वही पर गीत नाटक बनाते है ढाई आखर से हमे बडी मजबूती मिली लोग हमारे साथ जुडते गये और हमारा करवा बढता गया। जब कही भी इस प्रकार का कार्यक्रम होता है हम कोषिष करते कि हम वहा पर पहुचे हम जो काम करते है देखने मे लगता है काफी खर्च हुआ पर कम से कम मे हमारा काम हो जाता है हमारा अपना बैड है समतर बैंड।
राम चरण जी एक कृषक परिवार से थे 50रु मजदूरी कर अपना जीवन जी रहे थे उनके पास कुछ जमीन थी उन्होने सोचा कि मजदूरी से अच्छा है मै अपनी जमीन मे काम करू उन्होने अपनी जमीन में कुआं खोदना षुरू किया, 9 कुआं खोद डाले पर इन 9 कुओं में पानी नही निकला पर उन्होने हिम्मत नही हारी जब वह 10वां कुआं खोदे उसमें पानी निकला फिर उन्होने वहां फूल की खेती की और वहां एक गांव बसा दिया वहां लगभग 14 परिवार आये और वे भी फूल की खेती करते है वह गांव फूलवाडी के नाम से जाना जाता है और रामचरण जी कबीर जी से प्रेरित है और वह निरगुण कबीर पर कविता लिखी । कबीर पर भजन व फाग लिखी है । जिनकी किताब छपी है और वह कबीर जी के भजनो को गाते है।
इसके बाद सुरेष पटेल जी द्वारा कबीर चित्र प्रदर्षनी दिखाई गई जिसमें कबीर जन आंदोलन जिसने धर्म एंव समाज की दिषा बदल दी । संत कबीर दास, रवि दास, संत दादू, संत दरिया, संत गोरा, सेना जैसे कर्मषील करीब एक सौ पचास संतो ने इस आंदोलन की अगुवाई की जिसे भक्ति आंदोलन कहां गया। आज आर्थिक कारणो से षिक्षा के दरवाजे बंद है, कबीर चित्र प्रदर्षनी मे लहरतारा तालाब, मगहर कबीर स्थल मंदिर, समाधि मंदिर, बीजक मंदिर आदि को दिखाया गया। कबीर जी अवधी भाषा मे लिखते थे ,कबीर जी की लोकप्रियता इतनी बडी कि उनके दोहो को लोगो ने अपनी भाषा मे लिखा। कबीर जी सबसे पहले ढपली पर गाते थे संतो के लिए कोई धर्म विषेष नही था उनका मानना था कि लोगो की पीढा को समझना मानव धर्म, हमारा धर्म है और यह चेतना उन्होने लोगो में फैलाई । निरगुणी तत्व है जो दिखाई नही देता प्रेम, न्याय, समता आत्मतत्व जो हमारे अंदर है मनुष्य को मनुष्यता की तरफ ले जायेगी , निरगुण का एक महत्व है अन्याय के खिलाफ।
वरिष्ठ कथाकार पंकज स्वामी मे कहा कि कबीर को कोई व्यक्ति नही कह सकता कि वह कबीर को पूरा जानते है जितने पढे लिखे लोग है उनको उतनी समझ नही है हम जो काम कर रहे है उससे भयभीत न हो मानसिक रूप से हम भयभीत होने लगते है, कबीर जी को ध्यान मे रखते हुये अगर कही कुछ गलत है तो उसके लिये आवाज उठाये। आज व्यक्ति स्वार्थी है , वह चाहता है कि सिर्फ मेरा भला हो जाए। कबीर के जो विचार है वह धर्म को नही मानते थे वे समानता मे विष्वास करते थे। हमें अपनी बात कहते आनी चाहिए, लोगो को तार्किक होना चाहिए।
कबीर जन विकास समूह से प्रीति जी द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया ‘‘हम है ताना हम है बाना..
समतर बैड द्वारा गीत गाया गया ‘‘ कबीरा जब हम पैदा भये’’
श्री रितेष जी द्वारा कहा गया कि हमारे बीच बहुत अंतर है हम जो व्यवहार करते है वह एक व्यक्ति ही दूसरे व्यक्ति के साथ नही करता है इन असमानता को दूर करने के लिये क्या किया जाए? सब जगह कार्यकम हो रहे है क्या हम लोग भी यहां जबलपुर मे कबीर जी के विचारो को लेकर लोगो के बीच जागरूता लाने के लिये जुड सकते है।
इस पर सबके अपने अपने विचार साझा किये – कबीर की वाणी का प्रसार हो यह जबलपुर मे भी होना चाहिए ताकि उनके विचारो को हम और ज्यादा जाने और हम ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाएं। जब हम लोग लोगो को जोडते है तो लोगो को अपेक्षाए भी होती है।
रितेष जी ने कहा सबके साथ कभी काम नही होता कुछ लोग आते रहते है कुछ अनुभवी लोग साथ आ जाये, कलाकार और कलाप्रेमी जब तक नही जुडेगे तब तक कुछ नही हो सकता। कला के माध्यम से चर्चाएं निकलती है वही हमारा ताना बाना है। अभी कोई डिजाइन नही है कबीर जी के बारे में जो बात है हम भी इतना नही जानते।
अधिकतर वालियंटर यूथ ने कहा कि ये प्लेटफार्म बहुत जरूरी है कबीर जी की जो वाणी है हम उनको समझ सकते है। कबीर जी को बहुत अच्छे से जान पायेगे।
हम लोग क्वीज के माध्यम से भी बच्चो को कबीर की वाणी से अवगत करा सकते है।
अजय सिंगोर जी ने कहा कि घर से ही कारण निकलेगा जब हम इन को आगे बढा पाये, कबीर की वाणी की समझ और आगे लाये। समाज मे जो कुरीतियां है उसको सुधारने का प्रयास करेगे।
बैजनाथ कुषवाहा जी ने कहा कि षहर मे इतना भेदभाव नही है गांव मे आज भी बहुत छुआछूत और भेदभाव है, अगर इस तरह कार्यक्रम की षुरूआत गांव से षहर की ओर होना चाहिए और इस कार्य के लिये मै 50 गांव के लोगो को इस कार्यक्रम मे जोडने के लिये तैयार हूॅ।
वरिष्ठ कथाकार पंकज स्वामी जी ने कहा कि क्यो ना हम लोग इस कार्यषाला मे जो पोस्टर लगाये है इन्हे स्कैन कर वाट्सअप मैसेज के जरिये लोगो तक पहुचा सकते है हमे इसके लिये नियमितता बहुत जरूरी है अगर हम यह करते है तो जरूरी नही कि सफल हो पर कुछ लोग तो कबीर जी के विचारो को जानेगे।
नृत्यांगना षैली धोपे जी ने बताया कि मै एक कथक डांसर हूं और काफी समय से कर रही हू मैने देखा कि लोग नृत्य के जरिये भी बहुत जल्दी अपने आप को जोड लेते है, तब हमे लगा कि हम लोगो को जागरूक करने वाले मैसेज भी पहुचा सकते है, फिर हमने कबीर जी, रविदास जी, व गांधी जी के कियेे गये कार्यो को नृत्य के द्वारा दर्षाया। आज के समय मे बच्चे मोबाइल मे लगे रहते है जिन्हे कबीर के दोहे जो स्कूल मे पढाये गये हे वह भी याद न हो इस प्रकार से अगर हम लोगो के बीच कार्य करते हेै तो लोग कबीर जी के विचारो को जानेगे।
षिवकुमार जी ने कहा कि कबीर को लेकर देष मे ही नही बल्कि विदेष मे भी उत्सुकता है वे कबीर जी को जानना चाहते है व जाति, धर्म को नही मानते थे वे मानवता पर विष्वास रखते थे, उनके विचारो को जीवन मे लाने के लिये आज हमसब को एकजुट होने की आवष्यकता है आज हमारे कई साथी नृत्य, संगीत के माध्यम से लोगो के बीच अपनी पहंुच बना रहे है।
रितेष जी ने कहा कि हम सब जो यहां बैठे है उन सबकी अपनी विधाये है कोई संगीत के माध्यम से कोई नृत्य के माध्यम से अपने विचार लोगो तक रख रहे है पर जो गरीब वर्ग का व्यक्ति चाहते हुये भी इन चीजो तक नही आ पाता। हम जो काम कर रहे है लोगो को लगता है राजनीति की बात कर रहे है राजनीति से लोग दूर रहना चाहते है वह अपनी दाल रोटी की जरूरत को पूरा करने मे लगा रहता है। हम ये नही कहते राजनीति करो पर राजनीति को समझो, राजनीति को समझना जरूरी है। हम सब लोग आगे का प्लान करे हम सब साथी राय ले और भविष्य मे ज्यादा से ज्यादा कलाकारो को लाने का प्रयास करे।
सुरेष जी ने कहा कि कबीर जी जादू टोना, तंत्र मंत्र लोगो को भ्रमित करता है इससे बचना चाहिये और उन्होने कुछ नमूने भी दिखाये।
इसके बाद कबीर जन कला समूह द्वारा गीत प्रस्तुत किये गये।
श्री जगदीष जी द्वारा बताया कि 40 साल पहले चित्र बनाया करते थे चित्रो पर कार्य करते हुये लेखन पर ध्यान गया जिसमे कबीर जी से वह प्रभावित हुये 2006 मे एक कहानी संग्रह लिखा। इस प्रकार उनकी यात्रा आगे बढी। 40-45 वर्ष का जो अनुभव है लेखन के जरिये वह लोगो तक पहुंचाने पर कार्य कर रहे है।
श्री मूलचंद जी एससी, एसटी संघ के अध्यक्ष है जो बच्चो की षिक्षा के लिये कार्य करते है और जरूरत मंद बच्चो को उनकी षिक्षा न रूके इसके लिये उन्हे सहयोग करते है।
श्री भागचंद पटेल जी ने कहा कि कबीर को लोग भगवान न मानने वाला मानते है हमे कबीर के विचारो को आगे बढाना हेै अगर आप लोग संतो की वाणी को सुनना चाहते है तो मेरे साधू व साध्वी जी से संपर्क है आप बता दिजियेगा वह आप लोगो के पास आ जायेगे।
इसके बाद सभी आये हुये कलाकारो द्वारा अपनी अपनी प्रस्तुतियां दी।
इस कार्यक्रम मे सुरेष पटेल जी, रितेष जी, मूलचंद जी, षैली घोपे जी, षिवानी, भागचंद पटेल जी, पंकज स्वामी जी, रामचरण जी, बृजभान कुावाहा जी, भागचंद पटेल जी, प्रहलाद काछी जी, जगदीष पटेल जी, डब्बल गुरू जी, षिवकुमार जी, अजय जी, जितेन्द्र जी, रीना काछी जी, कहकंषा खानम कादरी जी, कौषल जी, दीक्षा यादव, भावना बेदी, ज्योति चौधरी, काजल चौधरी व अभिषेक चौधरी उपस्थित रही।