आज दिनांक 10-03-24 को चण्डीधाम मंदिर ग्वारीघाट रोड मे संस्था द्वारा अंतराष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया, कार्यक्रम कि शुरूआत भारती शुक्ला जी व बस्ती से आई समूह की महिलाओ द्वारा केक काटकर की गई।

कहकंशा खानम द्वारा कार्यक्रम को आगे बढाते हुए कहा कि 8 मार्च को पूरे विश्व मे महिला दिवस मनाया जाता है इस दिन का महत्व सामाजिक , राजनीतिक और आर्थिक क्षे़त्रो मे महिलाओं के अधिकारो और तरक्की के प्रति जागरूकता को बढाता है। इसकी शुरूआत आज से 115 साल पहले हुई उस समय पंद्रह हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर मे एक परेड निकाली. उनकी मांग थी की उनके काम के घंटे कम हो तनख्वाह अच्छी मिले और महिलाओ को वोट डालने का हक मिले।
इसके बाद मुख्य अतिथि हवाबाग कॉलेज की प्रोफेसर श्रीमति भारती शुक्ला जी द्वारा सभी महिलाओ को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी उन्होने कहा कि आज जो आप लोग आई है इस वक्त यह वक्त आप आपके लिये बहुत कीमती है क्योकि आप सब सुबह से अपने परिवार की जरूरतो, घर के काम कर यह कुछ वक्त अपने लिये निकाल पाती है यह आप वक्त है आज हम महिलाओं के अधिकार की बात कर रहे है क्या संविधान मे हमे बराबरी से चलने का नौकरी करने का जीवन जीने का अधिकार दिया है क्या सच मे उन अधिकारो का हम उपयोग करते है हम अपने आप को खुद कमजोर मानते है उन्होने उदा. देकर बताया कि यदि किसी महिला की लडाई किसी पुरूष से हो जाये तो वह स्वयं यह कहती है चूडी पहन ले एक औरत से लड रहा है जब संविधान मे महिला पुरूष दोनो समान है क्या चूडी पहनने वाले कमजोर होते है तो फिर हम अपने आप को कमजोर क्यो समझते है हमंे अपनी यह सोच बदलनी होगी।


इसके बाद शिव कुमार जी द्वारा सभी महिलाओं का स्वागत कर उन्होने कहा हर दिन महिलाओं का दिन होता है पर सभी लोगो को बताना जरूरी है कि महिला दिवस क्यो मनाया जाता है। नागरिक अधिकार मंच सालो से शहरी गरीब लोगो के लिये काम करता है उनकी मूलभूत जरूरतो के लिये जिनमे सडक, रोड, नाली इन पर काम करता है बस्ती मे अधिकतर लोग नही जानते कि यह हमारे अधिकार है क्योकि लोग संविधान को नही जानते, और हम लोग बस्ती मे लोगांे के बीच यही सब जानकारी पहुचाना चाहते। हम महिलाओं और यूथ के साथ संविधान द्वारा दिये गये अधिकारो को बताने का प्रयास करते है। इसी प्रकार भारत का संविधान और भारत मे महिलाओं की स्थिति को हम समझने का प्रयास नही करते ये इसलिये है क्योकि कि जब वह छोटी होती है पिता के अधीन होती है उसके बाद अपने भाई के भाई चाहे उम्र मे उससे छोटा हो उसकी रक्षा की जिम्मेदारी वह करता है फिर शादी के बाद पति के अधीन होती है।

इसके बाद अरमान फाउन्डेशन संस्था से ट्रांसजेडंर अब्दुल रहीम जी द्वारा कार्यक्रम मे आये सभी लोगो का स्वागत किया और उन्होने बताया कि अभी तक समाज दो ही जेंडर जानता था पुरूष और स्त्री, पर एक तीसरा जेडंर भी है जिसे लोग किन्नर, ट्रांसजेडर आदि के नाम से जानते है ट्रांसजेंडर एक वैश्विक शब्द है उसमे बहुत सारे लोग आते है। किन्नर और ट्रांसजेंडर को एक समान ही माना जाता है बहुत कम लोग जानते है किन्नर मां पेट से ही होते है पर ट्रांसजेंडर जन्म से तो एक लडका या लडकी के तरह होता है पर 5 से 10 साल का होने तक वह अपनी पहचान को जेंडर के तौर पर महसूस करता है हम खुद का क्या महसूस करते है वह समझ हमारे मस्तिष्क से आती है पर परिवार इस बात को नही अपनाता है वह चाहते है कि जो शरीर स्त्री या पुरूष का मिला है हम उस प्रकार का जीवन जिये हमारे समाज में इस तीसरे जेंडर के लिये पहले कोई जगह नही थी। इस समुदाय के लोगो को लोग घृणा की दृष्टि से देखते थे।


इसके बाद समूह की महिलाओं का सम्मान कर पुरूस्कार वितरित किये गये कार्यक्रम मे भारती शुक्ला जी,ट्रंाजेडंर अब्दुल रहीम जी, बीना सामले जी आर्चना चौधरी जी, शिवकुमार जी, कृष्णा चौधरी जी, कहकंशा खानम जी, कौशल जी, भावना जी, दीक्षा जी व अभिषेक व दस बस्तियो से आयी 150 से अधिक महिलाये उपस्थित रही।