
संविधान शाला -3
दिनांक 23 मार्च दिन रविवार को नागरिक अधिकार मंच के तत्वधान में मदन महल होटल गैलेक्सी में संविधान शाला–3 आयोजन किया गया। कार्यकम के मुख्य अतिथि के रूप में श्री पंकज स्वामी एवं श्री योगेश गनोरे उपस्थित रहें। कार्यक्रम में अरमान फाउंडेशन सें ट्रांसवीमेन अब्दूल रहीम और निजमोहन व जन साहस सें श्री राजू चैधरी जी उपस्थित रहे। आयोजित संविधान शाला–3 कार्यक्रम में अंबेडकर नगर, लाल कुआं, संजय नगर, बागडा दफाई, रविदास नगर और परसवाडा सें 36 युवाओं नें भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत में आतिथियों का स्वागत पुष्प वृक्ष देकर किया गया|
कार्यक्रम के पहले सत्र में
श्री पंकज स्वामी जी (वरिष्ठ कथाकार)

आपने आपना परिचय दिया व सभी यूथ का परिचय प्राप्त किया परिचय में यूथ सें उनके स्कूल ,कक्षा ,विषय ,आगे की पढाई के विषय पर चर्चा की। पंकज जी ने बताया आज भगत सिंह शहादत दिवस है आप सोच सकते है की एक 24 साल का लडका खुशी -खुशी फांसी पर चढ गया ऐसा क्या किया जो इतनी सी उर्म में फांसी हो गई इसके लिए आपको भगत सिंह को पढना होगा आप सभी यूथ को बताया की संचार का युग है समूह में बात करें ग्रुप कम्यूनिकेशन इसके साथ मास कम्यूनिकेशन संचार के अनेक माध्यम है मोबाईल ,गुगल ,किताबें ,टीवी ,एआई आटीफिशिल आप सब में पढ सकते और सर्च कर सकते है। आप में से कितने लोग ने मताधिकार का प्रयोग किया मताधिकार की प्रक्रिया देश में कानून बना संविधान के माध्यम से मताधिकार समानता का अधिकार और बहुत सें अधिकार प्राप्त हुये। आप कबीर ,संत रविदास ,रहीम कों पढते है अगर नही तो पढिए आप अपना इतिहास नही जानेगें तो कोई भी आपको गलत जानकारी देगा और आप सब उसको सही मानेगे क्योकि आपने इतिहास नही पढा और नाही जाननें का प्रयास करते है संविधान में सभी बराबर है सभी को पढने का अधिकार है तो आपके कुछ कर्तव्य भी है आपने देश ,पर्यावरण ,झील नदी ,पक्षी इन सबका ध्यान और सुराक्षित रखना हमारा मूल्य कर्तव्य है। पहले के लोग इतने शिक्षित नही होते थें महिलाओं की कम भागीदारी होती थी पर अब समय बदल रहा है महिलायें काम के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है। हर व्यक्ति को संवेदनशील होना चाहिए धर्म और जाति पर ध्यान नही देना चाहिए मानवता ही लोगो का धर्म हो । आगे की चर्चा में आपने बताया की कबीर , तुलसीदास ,चंद्रशेखर आजाद को कितने लोग जानते है अगर नही जानते तो जनिए पढियें आपको इसकी जरूरत है अच्छे सामान्य ज्ञान के लिए इतिहास को जानो । पंकज जी के द्वारा युवाओं से सवाल आप में सें कितने लोग आंबेडकर जी को जानते है और उन्होने हमारे लिए क्या किया यूथ का जवाब बाबा साहब नें हमारे भारत का संविधान बनाया और शिक्षित बनो संगठित रहो संर्घष करो का संदेश दिया। हर वर्ग की जाति की महिलाओं के मसीहा है तभी तो महिलायें हर क्षेत्र में पुरूषो के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है। आगे आपने बताया बच्चों एनसीआरटी की किताबें पढिए बहुत अच्छी किताब है हमारा कर्तव्य की उन महान लोगो को जाने और पढें सोशल मीडिया ,इंस्टाग्राम, टेली विजन में ब्रेकिंग न्यूज देखिए। भारती शुक्ला जी का लेख है जब कोई महिला का रेप होता है तो उसकी मदद करने के लिए कोई महिला नही आती , लेकिन वही दूसरी महिला कलश यात्रा कार्यक्रम करेगी तो सारी महिलायें इक्टठ होंगी यही हमारे देश की विडम्वना है तो बच्चो आप सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा आगे भी कभी मौका मिला तों जरूर मिलेगें। आगे आपसे योगेश गनोरे जी पर्यावरण पर आपको नई जानकारी प्रदान करेगे उनकी संस्था पौधा लगाती है मृत्यु होने पर उनकी राख से पौधा लगाते है जो हमारे जीवन सें चला जाता है उसकी याद में पौधा लगाते हैं ताकि हमें एहसास हों की वो हमारे साथ घर आंगन में है और उन्हे हम बढता ,फल और फूल देता देख पा रहे है।
श्री योगेश गनोरे (कदम संस्था, जबलपुर )

आपने ने बच्चों को बताया कि मेरा नाम योगेश है मै कदम संस्था के माध्यम से पर्यावरण को स्वच्छ ,सुन्दर और हरा भरा बनातें है। आपने बताया की बच्चो हमारे संविधान के भाग 4 में मूल कर्तव्यों के अनुच्छेद 51क(छ) में कहा की भारत की प्रत्येक नागरिक प्राकृतिक पर्यावरण को, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी, और वन्य जीव है, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखे |
कदम संस्था की स्थापना इसी मूल भावना पर 20 जनवरी 1995 को की थी ताकि व्यक्ति स्वतंत्र हो और प्रेम को समझ सके। कदम संस्था नें 17 जुलाई 2004 सें पौधारोपण का आभियान शुरू किया था इस आभियान के 10 वर्ष पूरें होने पर हमनें 17 जुलाई को कदम पौधारोपण दिवस घोषित किया और तब से हम पूरी दुनियां के लोगो से अपील कर रहें है कि वे 17 जुलाई को एक पौधा विश्वशांति के लिए जरूर लगायें। हमारे इस प्रयास सें इसके कुछ अच्छे परिणाम आ रहें है और हजारो स्थानों पर लोग 17 जुलाई के दिन विश्वशांति की कामना के साथ पौधा रोपते है। संविधान कें मूल्यों में पर्यावरण की रक्षा करना हमारा मूल्य कर्तव्य है, हम अपने देश की हरियाली, पेड, पक्षी, झील, नदी पहाडों की रक्षा करे। बच्चों आप अपने जन्मदिन के अवसर पर केक काटतें है सोचो अगर सब अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगाये तो कितना अच्छा लगेगा| जब पौधा पेड बनेगा फिर उस पेड पर चिडियां अपना घोसला बनायेगी और वो आप सबको धन्यवाद कहेगी। सुबह जब चिडियां ची..ची..ची.. करती है इसका मतलब वो आपको थैंक्यू थैंक्यू कहती है कि आपने जो पौधा लगाया है वो अब पेड बना है उस पेड पर मैनें अपना घोसला बनाया है जिसमें मेरे बच्चें रहते है तो बच्चों जब भी कोई चिडियां ची.. ची..ची करें तो आप समझ लेना की वो आपको थैंक्यू बोल रही है। कदम संस्था अंशरोपण भी करती है दाह संस्कार के बाद मुठटी भर पवित्र भस्म को परिजन की उपस्थिति में एक गमले में खाद और मिटटी में मिलाया जाता है और उसमें निकटस्थ परिजनों द्वारा बीज का रोपण किया जाता है| 15 सें 20 दिनों के बाद जों पौधा अंकुरित होता है उसमें खाद और मिटटी के साथ पवित्र भस्म के अंश भी हमेशा-हमेशा के लियें पौधे में प्रवाहित होने लगते है और हम महसूस करते है, कि हमारे परिजन को इस पौधें के रूप में वों हमारे आस -पास अभी भी है और हमें देख रहे है। वैज्ञानिक तथ्य है दाह संस्कार से प्राप्त पवित्र भस्म में कैल्श्यिम कार्बोनेट होता है जो अम्लीय मिटटी के लियें वरदान है साथ ही पोटास एंव फास्फेट भी होते है जो पौधों के लियें आवश्यक है। बीजारोपण अभियान स्कूल और कालेज में करते है आप में से कुछ बच्चें मुझे जानतें भी होगें हम आपके स्कूल में भी आये थे। 30 जून 2010 सें जुलाई -अगस्त में प्रतिवर्ष जबलपुर शहर में लगभग एक लाख स्कूली विद्यार्थी को बायोडिग्रेडेबल पाली बैग में बीज रखकर दिये जाते है जिन्हें वे घर ले जाकर उसी पाली बैग में मिटटी और खाद भरकर दियें गयें| बीज को रोपने के 15 सें 20 दिनों के बाद पौधा अंकुरित होता है, जिसें वो पालता पोसता और बडा करता है। विद्यार्थी में सृजन, धैर्य, देख-रेख एंव जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। बीजारोपण अभियान का वार्षिक आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों संख्या में विद्यार्थी अपनें विकसित पौधों को लेकर आते है जिन्हें कदम संस्था प्रोत्साहन के लियें दान दाताओं के सहयोग से पुरूस्कृत भी करती है, कुछ विद्यार्थी अपने विकसित पौधें को अपने साथ वापिस ले जातें है और बाकी के पौधों को कदम संस्था सरकारी, अर्धसरकारी, गैरसरकारी संस्थाओं को उनके आग्रह पर सौप देती है जिन्हें वें 17 जुलाई को कदम संस्था पौधारोपण दिवस पर उचित स्थान पर रोप देते है ताकि वो बडें पेड बन सके। चर्चा के आखिर में योगेश जी बच्चों आप सब एक कागज पर आपना जन्मदिन की तारिख और मोबाईल न लिखकर दिजियें हम आपको आपके जन्मदिवस पर फोन करके पौधारोपण करनें की याद दिलायेगे आप भी हमारें इस अभियान सें जुडें और धरती को हरा भरा बनाइये। यूथ शारदा बर्मन ने कहा कि 5 साल पहले की बात है मेरे घर के पास नींबू का पेडं लगा है मैने एक बार आन्टी सें नींबू मांगा तों उन्होने कहा नींबू खाने का इतना शौक है तो तुम भी नींबू का पेड लगा लो, मुझें बहुत गुस्सा आया और दूसरें दिन मैनें नींबू का पेड लाकर अपने घर में लगाया, अब उसमें ढेर सारें नींबू लगते है और मेरे यहा जो नींबू मांगता है मै उनको दे देती हूँ और नींबू के पेड पर चिडियां ने अपना एक घोसला भी बनाया है।
लंच के बाद दूसरे सत्र में
श्री राजू चौधरी (जन साहस संस्था)

आपने ने युवाओं को बाल लैंगिंक शोषण और गुड टच बैड टच के बारे में समझाया आपने बताया की कोई भी 18 वर्ष सें कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा या बालक समझा जाता है। लैगिंक अपराधों से बालाकों संरक्षण अधिनियम 2012 कानूनी परिभाषा है ,आप सबसे एक सवाल 8 वर्ष की नेहा के चाचा उसके गुप्त अंग को छूने का खेल खेलना चाहते है सही या गलत ,युवाओं द्वारा गलत क्यू? यूथ नें बताया की नेहा छोटी बच्ची है वो समझ नही पाती की उसके चाचा की नीयत गंदी है। अब दूसरा सवाल 10 वर्ष के पवन को डाक्टर इलाज के दौरान अपने यंत्र से उसकी छाती को चेक करता है सही या गलत युवाओं के द्वारा सही क्योकि पवन 10वर्ष का है और वो सही गलत का फर्क समझता है। आगे आपने बताया की हमारे पास एक ऐसा केस आया था मै आपको उस लडकी या गांव का नाम नही लूंगा उस बच्ची के अपने पिता नें ही उसका बलात्कार किया बच्ची की माँ बचपन में ही मर गई थी उस बच्ची को समझ में ही नही आ रहा था की मेरे साथ क्या हो रहा है, क्योकि उस बच्ची को सही गलत पता ही नही था, इसीलिए बच्चों को स्कूलों में गुड टच बैड टच के बारे में बताया जाता है | शोषणकर्ता कौन हो सकता है, टीचर, परिवार का सदस्य ,परिचित व्यक्ति, पडोस, पुलिस, ट्रेनर शोषणकर्ता कोई भी हो सकता है। बच्चों के साथ परिवार का कोई शोषण करता है तो मम्मी पापा बच्चों की बात को मान ही नही सकतें और अगर समझ गयें की बच्चा सही बोल रहा है तों कहेंगे भूल जाओं होता है| घर की इज्जत का क्या होगा? तूम बातें बना रहे हो, ऐसा तो सबके साथ होता है, बडों की बात माननी चाहिए, तुम्हारे पास क्या सबूत है| बेचारे बच्चें अंदर ही अंदर घुटते रहते है। बच्चें अपनी बात क्यों नही कह पाते है, सोचते है कोई मेरा विश्वास नही करेगा, वो मेरी गलती थी| किसी को पता चला तो कोई मुझसें बात नही करेंगा, वो पापा के अच्छे दोस्त है, मुझें अजीब लग रहा है, इस बात को कैसे बताउं, हम बस खेल रहे थे, बच्चो के मानसिक स्वास्थ पर गहरा प्रभाव पडता है जैसे – अकेलापन महसूस करते है, आत्महत्या और स्वयं को चोट पहुचाते है या धीरे – धीरे नशें की ओर बढते है| समाज सें दुरी बनाते है और किसी पर भरोसा नही करते, घरेलु हिन्सा का शिकार भी होते है।
इस अपराधों को रोकने के लिए एफआर आई दर्ज करवा सकते है निशुल्क हेल्प लाईन साइबर हेल्प – 1500 जन साहस हेल्प लाईन न 180030002832 आपको निशुल्क सहायता देती है | आये दिन बच्चो के साथ अपराध हो रहे है, इन अपराध को रोकने के लिए हमें सतर्क रहना चहिए | मम्मी पापा के साथ दोस्त बनकर रहे, अपने भाई बहनों के साथ रहना और उनको गलत संगत में रहने से रोकना चाहिए, प्रशिक्षण में सीखी बातो को दूसरें को भी बताये। यूथ का सवाल शादी के बाद लडकी यदि नही चाहती की उसे कोइ्र टच किया जाए और उसे टच किया जाता है क्या यें अपराध में आता है, जवाब हां बगैर पत्नी के मर्जी उसे उसे पति भी छूता है तो वो अपराध है। सेशन के आखिर में युवाओं को बाल लैगिंक शोषण पर 2 डाक्यूमेंटरी फिल्म दिखाया।
सुश्री अब्दूल रहीम ट्रांस वीमेन (अरमान फांउडेशन)

ट्रांसजेण्डर अब्दूल जी ने युवाओं को लिंग, लैगिकता और जेंण्डर पर प्रशिक्षण दिया जिसमें बताया की जन्म के समय लिंग निर्धारण (पुरूष) जन्म के समय निर्धारित पुरूषों में उच्च स्तर का टेस्टोस्टेरोन होता है। निधारित पुरूषो में एक एक्स और एक वाय गुणसूत्र होते है। (महिला ) जन्म के समय निर्धारित महिलाओं में उच्च स्तर के एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेररोन होते है। निर्धारित महिलाओं में आमतौर पर दो एक्स गुणसूत्र होतें है। (इंटरसेक्स ) जन्म के समय लगभग 40 प्रकार के शारीरिक या हार्मोंनल या गुणसूत्रीय निर्धारण होते है। भारत में ट्रांसजेण्डर व्यक्तियों को मान्यता प्राप्त है जैसे पहचान पत्र, भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड, राशन पत्रिका आदि नालसा के निर्णय 2014 में माननीय उच्चतम न्यायालय का एतिहासिक निर्णय रहा जिसमें ट्रांसजेण्डर व्यक्तियों को कानूनी मान्यता, स्वयं पहचाना गया लिंग। सामाजिक और शैक्षणिक रूप सें पिछडा -आरक्षण, सार्वजनिक स्थानों पर अलग शैचालय और समाज कल्याण योजनाएं शामिल है। अनुच्छेद 14- कानून के समक्ष समानता और कानूनों का समान संरक्षण ट्रांसजेण्डर लोग रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और नागरिक अधिकारो सहित सभी क्षेत्रों में कानून के समान संरक्षण के हकदार है। यौन अभिविन्यास और लिंग पहचान के आधार पर भेदभाव कानून के समक्ष समानता और कानून के समक्ष समानता और समान संरक्षण को प्रभावित करता है और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। अनुच्छेद 15 और 16 लिंग सहित आधारो की एक सूची के आधार पर कुछ क्षेत्रों में भेदभाव पर प्रतिबंध लगाते है। ट्रांसजेण्डर को निवास का अधिेकार, रोजगार का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार और सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं का अधिकार प्राप्त है। 1 उपयुक्त सरकार ट्रांसजेण्डर व्यक्तियों की पूर्ण और प्रभावी भागीदारी और समाज में उनके समावेश को सुरक्षित करने के लिए कमद उठाउगी। 2 उपयुक्त सरकार ऐसी कल्ययाणकारी योजनाओं और कार्यक्रम बनाएगी जो टंªासजेण्डर के प्रति संवेदनशील, गैर कलंककारी और गैर, भेदभावपूर्ण हो। 3 उपयुक्त सरकार ऐसे व्यक्तियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ट्रांसजेण्डर व्यक्तियों के बचाव , सुरक्षा और पुनर्वास के लिए कदम उठएगी। चर्चा के आखिर में ट्रांसजेण्डर छात्रों के लिए एक सुरक्षित वातावरण और ट्रांसजेण्डर बच्चों की निगरानी में रखना ताकि उनके साथ कोई भेदभाव न हो सके जिससे ट्रांसजेण्डर विद्यार्थीयो में आत्मविश्रवास बने।
श्री शिव कुमार जी (नागरिक अधिकार मंच)

साथी शिव नें यूवाओं को संविधान की प्रस्तावना के बारे में बताया कि संविधान के प्रस्तावना में दिये गए नौ मूल्यो को जीवन में लाने का प्रयास करें। आपने बताया की संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न का मतलब देश के मालिक हम है, कोई बाहर देश से आकर दखल नही देगा और देश की संसद भारत के बेहतरी के नियम कानून बनाएगी । पंथ निरपेक्ष को 1963 में संशोधन के बाद लाया गया, पहले धर्मनिरपेक्ष था अब पथनिरपेक्ष हुआ | धर्म हमारा नीजि है हम कोई भी धर्म को मान सकते है पर सरकार किसी भी धर्म का प्रचार नही कर सकती अर्थात देश का कोई धर्म नहीं होगा। बंधुता हम देख रहे है की देश में धर्म, जाति, हिन्दू, मुस्लिम के नाम पर दंगा हो रहे है देश मे बंधुता का होना अति अवाश्यक है। संविधान को जानना बहुत जरूरी है संविधान को जीवन में लाना बहुत जरूरी है और अपने बीच बंधुता बनाये रखें, आप अपना इतिहास पढेगे तों समझ पायेगे व ऐसी चर्चाओं में जब भाग लेगे तो जवाब दे पायेगें। आप पढाई करते है सिर्फ नौकरी करने के लिए पर जब आप इतिहास पढेगे तो आपको फक्र होगा की आप भारत के लोग है।





