दिनांक 21-03-24 से 22-03-24 को नागरिक अधिकार मंच संस्था द्वारा ;यूथ हॉस्टल रानीताल में दो दिवसीय संविधान षाला का आयोजन किया गया। जिसमे भोपाल, हरदा, टिमरनी, मवई, मंडला व जबलपुर शहर के 25 यूथ इस कार्यषाला में उपस्थित रहे।
प्रथम दिवस षिवकुमार जी द्वारा सभी यूथ का अभिवादन कर कार्यक्रम की षुरूआत की, जिसमें सभी से परिचय कर वह क्या अपेक्षाऐ रखते है इसके लिये ऑनलाइन फॉर्म भरवाये गये। षिव कुमार जी द्वारा नागरिक अधिकार मंच संस्था के बारे में जानकारी दी गई कि यह संस्था षहरी गरीबों के मुददे और उनके मूलभूत अधिकारो पर काम कर रही है। हमारी संस्था का उद्देष्य है कि हम सब बराबर है पर समाज मे लोगो को जाति के बंधन मे बॉध रखा है और ऊंची जाति वालो ने पिछडी व दलित वर्ग के साथ भेदभाव करते है जबकि संविधान मे सभी को बराबरी का हक दिया गया है। हमारी संस्था संविधान और संवैधानिक मूल्यों के जागरूकता पर काम कर रही है। संविधान बनाने का उद्देष्य सभी के लिये न्याय, समता, स्वतंत्रता, बंधुता हो। कुछ समय पहले तक लोगो को संविधान को लेकर जानकारी नही थी पर अब बहुत सी संस्थाएं संविधान पर काम कर रही है। लोगो को संविधान के मूल्यो को समझने व जीवन जीने के लिये जागरूक कर रही है। पहले संस्थाएं स्वास्थ, षिक्षा, बालिका संरक्षण आदि जैसे मुद्दो पर काम कर रही थी क्योजिसमे यूथ से दीपक ने बताया कि लोगो को जानकारी का अभाव है जिस कारण सरकार व अन्य सामाजिक संस्थाएं लोगो को जागरूक करने का कार्य करती है

इसके आगें षिव कुमार जी द्वारा कहा गया ठीक इसी प्रकार संविधान को लेकर लोगो मे जानकारी नही है । संविधान के मूल्यों को लोग जीवन मे जी नही रहे है , संविधान किताबो तक रह गया हेै, जीवन मे नही आया है। संविधान बहुत बडा है बहुत कम वकील होते है जो कानून को पूरा जानते क्योकि उसके अंदर बहुत सी धाराएं है । जिनको कि अलग अलग तरह से वकीलो ने अपनी सुविधा अनुसार जानकारी लेते है। इसके उपरांत ईषा चौधरी द्वारा संविधान की प्रस्तावना को सुनाया गया। संविधान को जानने के लिये उनके नो मूल्यों को समझना बहुत जरूरी है।सम्पूर्ण प्रभूत्व, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य ये पांच मूल्य देष के लिये है भारत देष स्वयं का मालिक होगा। हमारे देष मे सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। हमारे देष के संविधान को अन्य देषो की अपेक्षा सबसे अच्छा संविधान है। हमारे देष के संविधान को अलग अलग देषो के कुछ कुछ मूल्यो को लेकर बनाया गया है। इसको बनाने मे 2 साल 11 माह और 18दिन लगे। समाजवादी मूल्य सोवियत संघ से लिया गया है हमने यहा के जैसी कल्पना की थी। हमारे देष में यूएसएसआर की तरह नही लेकिन समाजवादी के तौर पर सरकार आवास योजनाएं, वृद्धा पेंषन जैसी सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का लाभ दे रही है। हमारे देष में बहुत सारे धर्म हेै, यहां पर व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है, भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है। आज से तीन साल पहले तक नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र था पर अब वह भी धर्म निरपेक्ष राष्ट्र हो गया है। भारत एक लोकतंत्रात्मक राष्ट्र है, भारत मे जिस दिन संविधान बना उसी दिन तय हो गया था कि भारत में हिन्दू मुस्लिम सभी वर्गो की महिलाओं को वोट देने का अधिकार होगा। जनता के माध्यम से सरकार चुनी जाएं और जनता के लिये। जनता को जागरूक होना चाहिए न कि लालच मे अपने वोट का इस्तेमाल करना चाहिए। गरीब से गरीब व्यक्ति भी देष का षासक बन सकता है। हमे देष के लिये संविधान के इन 5 मूल्यों के चष्मे से देखना चाहिए। क्या हमारे देष में संविधान के इन मूल्यो का पालन हो रहा है। देष मे क्या व्यक्ति संविधान का पालन कर रहे है? संवैधानिक मूल्यो को जी रहे है? ये नौजवानो के लिये चिंता का विषय होना चाहिए। भारत के नागरिको मे संविधान और संविधान के मूल्य होगे तो हमारे देष की लडकियां रात मे भी बाहर निकलने से डरेगी नही।
जिस प्रकार देष के लिये पांच मूल्य है उसी प्रकार संविधान में देष के नागरिको के लिये भी न्याय, समता, स्वतंत्रता व बंधुता जैसे मूल्य दिये गये है। देष मे 65 प्रतिषत की आबादी गांव मे रहती है आज भी गांव मे ेबऐज कम्यूनिटी के साथ भेदभाव किया जाता है। आज भी लोगो के साथ जातिगत भेदभाव हो रहा है जबकि संविधान मे दिया है कि किसी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव नही किया जा सकता। आज के समय मे राजनैतिक पार्टीयां अपने जिनी लाभ के लिये लोगो को आपस मे लडवाते है। संविधान मे राजनैतिक न्याय का मूल्य ना होता तो द्रोपती र्मुमू जी आज राष्ट्रपति ना होती, इससे महिलाओं को राजनीति मे आने का मौका मिला। धर्म को संविधान ने निजी माना है उसे देष की जनता पर थोपना नही चाहिए । संविधान मे आजादी है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार मंदिर, मस्जिद, चर्च मे जा सकता है लोगो को अपनी बात कहने का अधिकार है। संविधान मे सभी के लिये समान अधिकार दिये गये है, चाहे वह स्त्री, पुरूष व थर्ड जेंडर यह सभी एक समान है ,समाज एक समता मूलक समाज हो। सभी को आगे बढने का अवसर मिले किसी के साथ भेदभाव न किया जाये। जब यह सब मूल्य होगे तभी हमारे देष मे बंधुता होगी । हमारे देष मे बंधुता का अभाव है । हमारे देष मे लोग जाति व धर्म के नाम पर खण्ड खण्ड मे बंटे है। महिलाये महिलाओं के साथ नही है तभी मणिपुर में एक महिला को उसे निर्वस्त्र कर 2 किलो मीटर तक घुमाया गया व उसके साथ सामुहिक बलात्कार किया गया पर इसको लेकर किसी राज्य कि महिलाआंे द्वारा कोई विरोध नही किया गया कि यह गलत हुआ। सहानुभूति और समानुभूति में अंतर है हम यहां बैठकर बात कर रहे है दुख बता रहे है ये सहानुभूति है लेकिन अगर हम उनके साथ उनके दुख मे खडे होकर उनके साथ हुये अन्याय के खिलाफ न्याय दिलाने मे साथ देते ये समानुभूति है। कुदरत ने बहुत सुंदर दुनिया बनाई पर हम इंसानो ने उसे बदसूरत कर दिया। हम सबको बंधुता पर कार्य करना होगा। अगर हम ये सोचे कि अब मै संवैधानिक मूल्यो पर चलूगां व मुल्य आधारित जीवन जिऊगां, तब ही हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर पायेगे।
इसके बाद यूथ के पांच गु्रप बनाये गये और उन ग्रुप को एक एक कहानी दी गई उन कहानी मे दिये गये पात्रो के कौन से मूल्यों का हनन हो रहा है गु्रप मे चर्चा कर प्रजेंट करवाया गया।
इसके बाद म.प्र. हाईकोर्ट के वरिष्ट अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव जी द्वारा यूथ से चर्चा कर पूछा कि कितने लोग है जो रोज अखबार पढते है या न्यूज देखते है आज कल देष मे क्या हो रहा है ? इस पर बात कि हमारे देष मे कितने लोग बेरोजगार है ? देष की षिक्षा नीति क्या कहती है ? रिजर्वेषन से हमको नौकरी क्यो नही मिल रही है? इन सब पर बात की, और कहा कि कानून बन जाने से सब लागू नही होता। हमारे देष की राजनीति नही चाहती कि लोग अपने अधिकारो को जाने और हम भी नही जानना चाहते। हमारे यहां धर्म, साम्प्रदायिकता को लेकर राजनीति होती है। वे लोग आरक्षण को हटाना चाहते है क्योकि हम सवाल करना नही चाहते क्याकि हम जब अखबार नही पढेगे, न्यूज नही देखेगे तो देष मे क्या हो रहा है कैसे जानेगे । हमारे यहां स्कूल मे नकल न हो इसके लिये बच्चो को एग्जाम देने अपने घर से 10-15 किलामीटर दूर संेटर दिया जा रहा है। सरकारी कोई एग्जाम हो तो एम.पी के बच्चे को बिहार का संेटर दिया जा रहा है और वहा के बच्चो को कही और वहा उनके खाने पीने की दिक्कत रहने की दिक्कत, समय पर सेंटर की जानकारी न हो तो बच्चा पेपर नही दे पाता। हम समझने को तैयार नही। व्यापम, बैंक व और अन्य सरकारी डिपार्टमेंट नौकरी के लिये फार्म भरवाते है फीस जमा करवाते है और एग्जाम के पहले परीक्षा कैंसिल कर देते है कि पेपर लिक हो गया, यह सब हो रहा है और ये इसलिये है क्योकि हम सवाल नही करते। आज की राजनीति मे आम लोग षिकार हो रहे है। हमे विचार करना चाहिए कि हम अपने देष के लिये सही व्यक्ति का चुनाव कर।
युवा साथी ज्योति चौधरी द्वारा सवाल किया गया कि आज के बच्चे राजनीति को समझना नही चाहते या जाना नही चाहते। जिस पर श्रीवास्तव जी द्वारा कहा कि जाना या नही जाना ये निर्णय आपका अपना है आप लोग अपना वोट देगे इसलिये आप को समझना होगा कि आने वाले समय मे आप जिसे भी चुने आपको समझ होनी चाहिये कि किस आधार पर चुनाव करे और वोट करे।

इन्ही चर्चाओं के साथ पहले दिन की संविधान षाला का समापन किया गया, साथ ही यूथ के तीन गु्रप बनाये गये और उन्हे न्याय, स्वतंत्रता व बंधुता को लेकर नाटक तैयार कर दूसरे दिन कि कार्यषाला मे करने हेतु कहा गया।
द्वितीय दिवस मे षिव कुमार जी द्वारा पहले दिन के सेषन पर रिकेप किया गया, साथ ही संविधान को लेकर युवा साथी रिया द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया।
षिवकुमार जी द्वारा संविधान षाला को आगे बढाते हुये युवाओं को बताया गया कि अंबेडकर जी द्वारा संविधान पहला ड्राफ्ट 6 फरवरी 1948 को भेजा जिसमे बंधुत्व, जाति या पंथ के भेद के बिना हर व्यक्ति की गरिमा सुनिष्चित करना जोडा गया। दूसरा ड्राफ्ट 9 फरवरी 1948 जिसमे श्रेणी और राष्ट्र की एकता को जोडा गया। तीसरा ड्राफ्ट 21 फरवरी 1948 जिसमें हर व्यक्ति की गरिमा और देष की एकता सुनिष्चित करता हुआ था। संविधान की उद्देषिका मे गांधीवादी दृष्टीकोण न रखने पर कई गांधीवादी नाराज थे। उनमे से ठाकुर दास भार्गव अंबेडकर जी को बंधुता षब्द डालने पर बधाई दी। संविधान मे जो मूल्य दिये है उनको हम संविधान के अनुच्छेदो मे देख सकते है

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि बंधुता को सुनिष्चित करना समानता लाने का एक जरिया है उन्होने यह भी कहा कि जहां असमानता का रूप दिखाई देता है वहा अवसरो की असमानता बनी रहती है वहा भारत की एकता एक दूर का सपना है।
इसके बाद हवाबाग कॉलेज से प्रोफेसर भारती षुक्ला जी द्वारा यूथ के साथ एक मेडिटेषन एक्सरसाइज की । सभी बच्चों से आंख बंद कर पांच मिनिट अपने बाहर और अंदर जो आवाज आ रही है उस पर ध्यान देने कहा। इसके बाद सभी बच्चो से पूछा कि क्या महसूस किया हम जब ऐसा करते है हम अपनी एकाग्रता को बढा सकते है।

भारती जी ने कहा कि संविधान हमें मानव होने का आभास कराता है समाज ने लोगो को जाति के आधार पर, काम के आधार पर बढा और छोटा बनाया है। प्रकृति ने पृथ्वी को सुंदर बनाने के लिये अलग अलग प्रकार से पेड जानवर बनाये , इसे हम कैसे कह सकते है कि ये बढा है तो यह सर्वश्रेष्ठ है। सबके अपने अलग अलग गुण है, उस प्रकार मनुष्य के अपने अलग अलग गुण है , अगर कोई किताब लिख सकता है और कोई जूता बना सकता है तो इसमे किताब लिखने बाला बढा कैसे हुआ और जूता बनाने बाला छोटा। संविधान को हमे प्राकृतिक रूप से देखना है। हमारे यहां जातिगत भेदभाव रंग रूप मे अंतर स्त्री पुरूष में अंतर आर्थिक आधार पर अंतर, लैगिग आधार अंतर किये जाते है, षिक्षा का अभाव है। हमंे कही समानता नही मिलती जबकि संविधान ने सभी को बराबरी का अधिकार दिया है। आज भी घरो मे लडकी और लडके मे भेद किया जाता है लडकियां रात मे घर से बाहर नही जा सकती। महिलाओं का षोषण हो रहा है साथ भारती जी द्वारा ट्रांसजेंडर पर बात किया कि समाज मे इन्हे मानव नही समझा जाता। उनके साथ बहुत खराब बर्ताव किया जाता है जबकि संविधान मे इन्हे भी बराबरी का दर्जा दिया गया है इसलिये हमे इन सब के लिये सवाल करना होगा। आप लोग कल का भविष्य हो अगर कही आप को लग रहा है कि ये गलत है सवाल करना आना चाहिये। आज दुनिया चांद पर जा रही है और हम जाति धर्म पर पडें है। कार्यक्रम के अंत में भारती जी द्वारा समस्त युवाओं को प्रस्तावना चिन्ह भेट किये गये
इसके बाद युवाओं के द्वारा बंधुता, न्याय व स्वतं़त्रता पर नाटक मंचन कर दर्षाया गया कि किस प्रकार समाज मे इन मूल्यों का पतन हो रहा है और हम सब को जागरूक होना है और अपने अधिकारो को समझना है संविधान को अपने जीवन में लाना होगा और संविधान को जीना होगा।
इसके बाद नागरिक अधिकार मंच के अघ्यक्ष पी. के. बोस जी द्वारा सभी युवाआंें का अभिवादन किया व विष्व जल दिवस के उपलक्ष्य मे सभी बच्चो को जल का महत्व बताया। जिस प्रकार लोग पीने के पानी का दुरूपयोग करते है आने वाली पीढी जल संकट का सामना करेगी। उन्हांेने कहा कल आपकी चर्चा चल रही थी राजनीति को लेकर आज का युवा राजनीति मे पढना नही चाहता आप राजनीति मे मत पढिये लेकिन समझिये। हमारे जीवन के हर पहलु मे राजनीति है , राजनीति गलत लोग करते है इसलिये हम उससे बचते है। हमे अपने अधिकारो को जानना है सवाल करना है।
कार्यषाला के अंत में युवाओं से फीडबैक फॉर्म भरवाये गये। साथ ही कुछ युवाओ के इन्टव्यू लिये गये। इस संविधानषाला में 25 युवा साथी, हाईकोर्ट के विरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव जी, भारती षुक्ला जी, नागरिक अधिकार मंच के अघ्यक्ष पी.के. बोस जी, षिव कुमार जी, कौषल जी, दीक्षा यादव जी, भावना जी व अभिषेक उपस्थित रहे।